सुबह सुबह टेहलने निकले तो दिखा अजब नज़ारा, सदियों बाद साफ सुथरा दिखा हमें मुहल्ला हमारा। मिजाजे सड़क का था अजब सा चेहरा, हर चौराहे पे था पुलिस का पेहरा। कुछ एक रंग के झंडो से, सजा था शहेर हमारा, कोने में पड़ा कूडादान, मायूस खड़ा था बेचारा। रातों रात नई सड़क देख मन अचंभित … Continue reading भैया चुनाव आ रहा है। ( हमरी कलम से)
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बात बिगड़ जाएगी।( हमरी कलम से )
मेरी खामोशी को खामोशी ही समझना, कुछ और समझोगे तो बात बिगड़ जाएगी। बेवजह यू न करीब आना, गर हम करीब आऐ तो बात बिगड़ जाएगी। अपनी हसरतों को यूं न दबा के रखना हमसे उमिद रखोगे तो बात बिगड़ जाएगी। और, मेरी नज़रों को समझ लेने का फन अभी तुम्मे नहीं, इशारों को समझने … Continue reading बात बिगड़ जाएगी।( हमरी कलम से )
जी चाहता है। ( हमरी कलम से )
a short hindi poem by me..... जी चाहता है
कहा नहीं जा सकता फिर भी किसमें शैतान समाया है।
कहा नहीं जा सकता फिर भी किसमें शैतान समाया है। वो वस्त्र जो हमने पहना है, वो चरित्र जो उसने ओढां है, वो खाना जो हमने खाया है, वो हवा जिसमें जीवन समाया है, है किया बर्बाद वही सब, जिससे ये जीवन आया है, कहा नहीं जा सकता फिर भी किसमें शैतान समाया है। वो … Continue reading कहा नहीं जा सकता फिर भी किसमें शैतान समाया है।